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अधूरे

अधूरे थे एहसास,
अधूरे थे जज़्बात,
अधूरे थे हम,
अधुरी ही थी हमारी हर बात।

तुम मिले तो लगा कुछ है,
जो बनाता है तुम्हे सबसे खास।
शायद वो जिसकी कमी में
दिन-रात सुलगते से थे हमारे ख्यालात।

कुछ मुलाकातें हुई तुमसे,
थोड़ी इधर उधर की बातें हुईं तुमसे।
लगा कि बस यही तो थी कमी जीने में हमारे,
ये जो हल्की सी नमी सी थी आँखों मे तुम्हारे।

चार कदम तुम साथ चले,
अनगिनत सपने हमारी आँखों मे पले।
बंजर आँखे भी सपने सजाने लगी,
दिल को नजाने कौन सी उम्मीद बंधाने लगी।

लगा कि हाँ तुझसे पहले अधूरे ही तो थे हम।
पर कहाँ साथ लिखे थे किस्मत में तुम और हम।
अपने हिस्से की नमी हमें दे गए,
हमारा आधा अधूरापन तुम ले गए।

अब हालात कुछ ऐसे हैं की
अधूरे सपनों के साथ बंजर आंखों में नमी बसती है।
क्या तुम्हारी आँखों मे भी हमारी कुछ कमी बसती है।

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