दो चेहरे
फर्क नही पड़ता तुम सामने हो या नहीं
फर्क नही पड़ता तुमने क्या कहा क्या नहीं।
क्या फर्क पड़ता है गर तुम मेरे न हो सके
क्या फर्क पड़ता है गर तुम गैर के हुए।
ये पहलू भी तेरा जो हम जान गये,
एक चेहरा तेरा ये भी है हम मान गये।
एक चेहरा तेरा ये भी है,
जो मूहं मोड के हम पर हंसता है,
एक चेहरा तेरा वो भी था,
जो खामोशी से भी मेरी डरता था।
बेवजहा डरते हैं लोग सांप से यहाँ,
डसते तो असल में दोचेहरे हैं यहाँ,
अभी तुम्हारे हैं, अब तुम्हारे नहीं,
सबकुछ तुम आज हो उनका,
अगले ही पल तुम कुछ भी नहीं।
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