सफर
लो शुरू कर दिया एक सफर और
तेरे लिए ही, तुझसे दूर जाने का।
ना जीत है इसमें तेरी फिर भी
बस हार ही हार है मेरी।
के तू मना करे लाख फिर भी
इंतज़ार में है किसी की।
मना करने को मुझे हजार मुनासिब वजह है तेरे पास
कि तुझे सहेज रखने को, मेरे पास
एक दिल के अलावा कुछ भी नहीं।
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