(२६) लापता
जो कभी थे परेशान
साबित करने में इस बात को कि
'मैंने तुम्हें छोड़ा है, तुमने मुझे नहीं'
आज मनाना मुश्किल हो गया है
उन्हें अपने आप को कि
'कैसे मोहब्बत खो गई यूं ही कहीं'
समझदार थे, हम तो
रहते थे वक्त से दो कदम आगे
'अब ठहरे कैसे हैं वहीं के वहीं'
वही शहर, वही गलियां
वही मैं और वही तुम, फिर भी
'पहले जैसे अब शायद कुछ नहीं'
कुछ भी नही
©undoubtedlymine
04.05.2019
Bạn đang đọc truyện trên: Truyen2U.Com