|34| 04.05.2018 (Hindi)
कोहरे की चादर संग खुशनुमा धूप
या हो फूल-पत्तियों पर ठहरी ओस की बूंद
चाय की चुस्कियों के बिना
जैसे फीका सा है कुदरत का हर खुबसूरत रूप
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कोहरे की चादर संग खुशनुमा धूप
या हो फूल-पत्तियों पर ठहरी ओस की बूंद
चाय की चुस्कियों के बिना
जैसे फीका सा है कुदरत का हर खुबसूरत रूप
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