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मेरी देशभक्ति

जन्म भूमि है ये मेरी,
मिटटी का नहीं सिर्फ़ एक टुकड़ा.
देकर लहू जवानों ने सींचा है,
इस्का हर एक क़तरा.

कण कण से इस्की है झलकती,
माँ का प्यार अपार,
सुनकर अनसुना न करो ,
इस माँ की हाहाकार

तप्ति धूप में जैसे ,
अंगारों सी तपन है सहते,
सरहद की रूखी बेपरवाह हवाओं को सीने से लगाते
उन पहरेदारों को सलाम.

सीने पर पत्थर है रखते,
बेटों, पतियों, भाइयों के लौटने की राह है तकते, 
पर आँखों से आँसू नहीं देते ये झलकने,
उन रखवालों को सलाम.

आसान है घर में बंद रहना,
पाबंदियों को सहना,
क्यों की ऎसे भी कुछ लोग है होते,
जो लक्ष्मण रेखा पार हर दिन है करते,
देश पर उठते हर वार के आगे अपने सीने को ढाल बनाते,
उन नवजवानों को सलाम,
उनके हौंसलों को सलाम.

देश ये सिर्फ उनका नहीं,
ये देश है हमारा,
तो आओ करें ये वादा,
लेकर उन जवानो से प्रेरणा,
देश के लिए जो बनपाड़ा करेंगे,
भारत के पहरेदार,
हम भी बनेंगे.

नियमो को निभाकर,
पाबंदियों को पलकों पर सजाकर,
आओं करे वीरों के बलिदानो को याद,
भारत माता तुझे और तेरे रखवालों को,
शत् शत् प्रणाम.

लेखक : गैनडाल्फऑफस्पेसअंली

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